
अगर आपने जीवन में कभी किसी कानूनी कार्रवाई का सामना किया है..या फिर आप अदालत की कार्यवाहियों के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी भी रखते हैं तो आपने Stay Order नाम का शब्द जरूर सुना होगा। जब कोई बड़ी अदालत जैसे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट किसी छोटी अदालत के फैसले पर रोक लगाती है तो उसे Stay कहा जाता है। किसी विभागीय कार्रवाई के विरोध में जब कोई व्यक्ति अदालत जाता है और अदालत उस कार्रवाई पर रोक लगा देती है तो उसे भी Stay कहा जाता है। आसान भाषा में कहें तो किसी भी कानूनी कार्रवाई का रास्ता रोकने को Stay कहा जाता है।
कानून मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए नए आंकड़ों के मुताबिक stay की वजह से हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे Trials में साढ़े 6 साल तक की देरी हो जाती है। इस वजह से किसी भी केस में औसतन 10 से 15 साल तक कोई फैसला नहीं आ पाता है। आंकड़ों के मुताबिक अगर कोई केस 10 वर्ष तक चलता है तो उसमें से 5 वर्ष अदालत की तरफ से लगाई गई रोक हटने के इंतज़ार में निकल जाते हैं। कानून मंत्रालय ने मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा के High Courts से हासिल किए गए आंकड़ों के आधार पर ये निष्कर्ष निकाला है–
– चार High Courts में लंबित 15 हज़ार 300 मामले ऐसे थे..जिन पर Stay की वजह से कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पा रही है।
– ये आंकड़े देश की सिर्फ 4 उच्च अदालतों से हासिल किए गए हैं..जबकि देश में High Courts की संख्या 24 है।
– यानी देश में लाखों Court Cases ऐसे हैं..जिनपर Stay की वजह से कोई फैसला नहीं आ पाता है।
– आपको जानकर हैरानी होगी वकीलों की संख्या के मामले में भारत, अमेरिका से भी आगे है। अमेरिका को दुनिया की सबसे बड़ी Legal Market माना जाता है लेकिन संख्या के मामले में भारत अमेरिका से काफी आगे है।
– एक आकंड़े के मुताबिक भारत में करीब 17 लाख वकील हैं जबकि अमेरिका में वकीलों की संख्या 13 लाख से ज्यादा हैं।
– बार काउंसिल ऑफ इंडिया का ये भी मानना है कि भारत में 30 प्रतिशत वकील फर्ज़ी हैं।
– भारत के करीब 1100 Law colleges से हर साल 60 हज़ार से 70 हज़ार छात्र कानून की डिग्री हासिल करते हैं। इनमें से बहुत सी डिग्रियां फर्ज़ी भी होती हैं और नतीजा ये होता है कि बहुत कम वकील ही लोगों को वक्त पर न्याय दिला पाते हैं।
– भारत में सस्ते वकील अक्सर Affidavit बनाते हैं या नोटेरी के काम करते हुए नज़र आते हैं और जो वकील अच्छे माने जाते हैं उनकी फीस चुकाना गरीब व्यक्ति के बस में नहीं होता।
– इस समय देश की अदालतों में करीब 3 करोड़ से भी ज्यादा मुकदमे लंबित हैं। इनमें से करीब 61 हजार cases सुप्रीम कोर्ट में Pending हैं।
– देश भर के High Courts में 2013 तक 41 लाख 53 हज़ार मुकदमों पर फैसला नहीं हो पाया था।
– देश में जजों की इतनी कमी है कि अगर इंसाफ समय पर मिल जाए तो वो रिसर्च का विषय बन जाता है। भारत में हर 10 लाख लोगों पर सिर्फ 17 जज हैं।
– 1987 में ही LAW कमीशन ने 10 लाख लोगों पर 50 जज होने की सिफारिश की थी। इस मामले में पूरे देश में सबसे खराब हालत दिल्ली की है, जहां करीब 4 लाख 92 हजार लोगों पर सिर्फ एक जज है।
– पूरे देश में इस वक्त सिर्फ 16 हजार 107 जज हैं। देशभर की अदालतों में जजों के 5,435 पद खाली हैं।
– देश की अदालतों में 10.4% cases ऐसे हैं जो 10 से भी ज्यादा वर्षों से pending हैं।
According to section 58 of the Bombay (now Maharashtra) Public Trusts Act 1950, “Every public trust shall pay to the Public Trusts Administration Fund annually such contribution at a rate or rates not exceeding five per cent of the gross annual income, or of the gross annual collection or receipt, as the case may be, as may be notified, from time to time, by the State Government